इस बार की नवरात्रि क्यों है खास?
नवरात्रि हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। लोग इन नौ दिनों में विभिन्न प्रकार से आदि शक्ति को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। इन दिनों में की गई पूजा का विशेष महत्व होता है और सकारात्मक शक्ति प्रकृति में इन नौ दिनों पूर्ण व्याप्त रहती है। हिंदुओं के लिए जितनी महत्वपूर्ण श्रावण मास, महाशिवरात्रि, गणेश चतुर्थी, जन्माष्टमी, राम नवमी आदि है उतना ही महत्वपूर्ण नवरात्रि का त्यौहार है। यह 9 दिन मात्र त्यौहार ना होकर साधना करने और देवी से सिद्धि प्राप्त करने के लिए उपयुक्त समय होता है।
पुराणों में नवरात्रि का वर्णन!
नवरात्रि के दसवें दिन दशहरा आता है, मान्यता है कि भगवान श्री रामचंद्र ने 9 दिन तक देवी की उपासना की और दसवें दिन रावण का वध किया। रावण और मेघनाथ भी देवी के बहुत बड़े उपासक थे, नवरात्रि में देवी की उपासना करने वाले साधक को मनोवांछित फल मिलता है इसी कारण वे अजय होने के लिए देवी की उपासना कर रहे थे। भारतीय इतिहास के अनुसार हनुमान जी और सेना ने उनके यज्ञ को विध्वंस कर दिया अन्यथा रावण और मेघनाथ देवी से अजय रथ ले लेते जिससे उन्हें हराना किसी के लिए भी संभव नहीं होता। ऋग्वेद, अथर्ववेद, तैत्तिरीय आरण्यक और देवी उपनिषद में देवी की उपासना का उल्लेख प्राप्त होता है।
नौ देवियां कौन-कौन है और क्या है इसका मानव विकास में अर्थ?
प्रथम मां शैलपुत्री (जन्म को दर्शाती हुई),
द्वितीय मां ब्रह्मचारिणी (ब्रह्मचर्य आश्रम को दर्शाती हुई),
तृतीय मां चन्द्रघण्टा (वयस्क शक्ति को दर्शाती हुई),
चतुर्थ मां कूष्माण्डा (गृहस्थ आश्रम को दर्शाती हुई),
पंचम मां स्कंदमाता (संतान उत्पत्ति को दर्शाती हुई),
षष्ठ मां कात्यायनी (पालन पोषण को दर्शाती हुई)
सप्तम मां कालरात्रि (शत्रुओं की कालरात्रि को दर्शाती हुई)
अष्टम मां महागौरी (पूर्णता अर्थात् सन्यास आश्रम को दर्शाती हुई)
नवम मां सिद्धिदात्री (सिद्धियों को प्रदान करने वाली अर्थात् वानप्रस्थ आश्रम को दर्शाती हुई)
क्या होते हैं आदि शक्ति के अन्य रूप!
आदि शक्ति के दो रूप अति सौंदर्य ( मां पार्वती ) अति रौद्रया ( मां सती ) जब एक रूप में मिल जाते हैं तो 10 महाविद्या होती हैं जिनके नाम महाकाली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी व कमला। मां के 10 नामों के साथ ही उनके पति अर्थात् हम सबके पिता के 10 नाम क्रमशः महाकाली के लिए महाकाल, तारा के लिए तारकेश्वर, बाला भुवनेशा के लिए बाल भुवनेश, षोडशी विद्येशा के लिए षोडश विद्येश, भैरवी के लिए भैरव, छिन्नमस्तिका के लिए छिन्नमस्तक, धूमावती के लिए द्युमवान, बगलामुखी के लिए बगलामुख, मातंगी के लिए मातंग तथा कमला के लिए कमल।
इसके साथ ही सभी 10 महाविद्या के अपने अपने भैरव भी होते हैं। काली महाविद्या और उनके भैरव महाकाल, तारा महाविद्या और उनके भैरव अक्षोभ्य, षोडशी महाविद्या और उनके भैरव कामेश्वर, भुवनेश्वरी महाविद्या और उनके भैरव सदाशिव या त्रयम्बक, भैरवी महाविद्या और उनके भैरव दक्षिणामूर्ति, छिन्नमस्ता महाविद्या और उनके भैरव कबंध, धूमावती महाविद्या और उनके भैरव कोई भैरव नही क्योंकि भगवान शिव द्वारा विधवा होने का श्राप है, बगलामुखी महाविद्या और उनके भैरव मृत्युंजय या महारुद्र, मातंगी महाविद्या और उनके भैरव मतंग या एकवक्त्र, कमला महाविद्या और उनके भैरव नारायण या विष्णु हैं।
देवी ग्रहों को भी इस प्रकार प्रभावित करती हैं की महाविद्या काली व ग्रह शनि, महाविद्या तारा व ग्रह गुरु, महाविद्या षोडशी व ग्रह बुध, महाविद्या भुवनेश्वरी व ग्रह चंद्रमा, महाविद्या भैरवी व ग्रह बृहस्पति, महाविद्या छिन्नमस्ता व ग्रह राहू, महाविद्या धूमावती व ग्रह केतु, महाविद्या बगलामुखी व ग्रह मंगल, महाविद्या मातंगी व ग्रह सूर्य, महाविद्या कमला व ग्रह शुक्र।
देवी की उपासना के लिए क्या क्या पूजन सामग्री आवश्यक होती है??
1 चौकी, गेहूं और गेहूं का आटा, चावल 1 kg, कलश के लिए 2 लोटे, आम के पत्ते, शक्कर 500g, आरती के लिए दिए 2, रूई माचिस, लाल कपड़ा, सुपारी 10, अंवती या कलावा, नारियल 2, चंदन कुमकुम हल्दी, अबीर गुलाल, लॉन्ग इलायची, धूप बत्ती, दोने की गड्डी 2, फूल, दुर्वा, बिलपत्री, ऋतु फल, फूल माला 3, पान 5, 1 मीठा पान, दूध, दही, घी, शहद, पंच मेवा, कर्पूर, हवन लकड़ी, हवन सामग्री, थोड़ी ज्यादा लकड़ी, तिली जौं आदि। इसके अलावा भी थोड़ी और सामग्री चाहिए होती है जैसे थाली चम्मच, ये सब घर पर आसानी से मिल जाता है।
आदि शक्ति की पूजन की विधि।
आपको किसी धर्म में निष्ठा रखने वाले, विद्वान और योग्य ब्राह्मण को पूजन के लिए आमंत्रित करना चाहिए। इसके अलावा यदि आप स्वयं करना चाहे तो सामान्य विधि के अनुसार भी कर सकते हैं। इसके लिए आपको सामान्य कोई भी देवी पूजन विधि की किताब खरीद लेना चाहिए।
भगवान विष्णु के 10 अवतारों से देवी को 10 महाविद्या का संबंध।
महाविद्या काली व विष्णु अवतार श्रीकृष्ण, महाविद्या तारा व विष्णु अवतार मत्स्य, महाविद्या षोडशी व विष्णु अवतार परशुराम, महाविद्या भुवनेश्वरी व विष्णु अवतार वामन, महाविद्या भैरवी व विष्णु अवतार बुद्ध या बलराम, महाविद्या छिन्नमस्ता व विष्णु अवतार नृसिंह, महाविद्या धूमावती व विष्णु अवतार वराह, महाविद्या बगलामुखी व विष्णु अवतार कूर्म, महाविद्या मातंगी व विष्णु अवतार श्री राम, महाविद्या कमला व विष्णु अवतार कल्कि।
साभार- अमन शर्मा