Israel vs Hamas war : जानिए इजरायल और हमास के युद्ध का असली कारण?
इजरायल और हमास के युद्ध का असली कारण क्या है?
पिछले ही दिनों यह खबर सुनने में आई थी कि हमास ने अचानक इजराइल पर मिसाइल छोड़ दी है, इन मिसाइल के कारण इजरायल के बहुत सारे नागरिकों की दर्दनाक मौत हो गई थी। इसके बाद इजरायल ने ठान लिया है कि वह हमास का नामोनिशान मिटा कर रहेगा। वर्तमान स्थिति यह बनी हुई है कि इजरायल चुन चुन कर हमास के आतंकवादियों को मार रहा है।
वहीं दूसरी ओर हमास के आतंकवादी इजरायल की आर्मी की महिला ऑफिसर्स को पकड़कर जबरन ले जाते दिखाई दे रहे है। वे इन महिलाओं का सामूहिक रूप से बलात्कार करते हैं और प्रताड़ित करते हैं। इसके अलावा पिछले कई वर्षों में यह भी देखा गया है कि हमास के आतंकवादी औरतें बच्चों जवानों किसी को भी नहीं छोड़ते, साथ ही बेजुबान जानवरों को भी खासकर कुत्तों को तड़पा तड़पा कर मारते हैं।
सभी मुस्लिम देश हमास का किसी न किसी तरीके से समर्थन क्यों कर रहे हैं?
मुस्लिम ऐसा मानते हैं कि जब इस्लाम को फैलाया जा रहा था तब अरब में मूर्ति पूजा करने वाले, यहूदी और ईसाई इन सब ने तब के मुसलमान पर बहुत अत्याचार किए थे उनका बदला आज के मुसलमान अब तक ले रहे है किंतु यह अर्ध सत्य है। वास्तविकता में मुस्लिम स्कॉलर मुसलमान को भड़कते हैं और यहां तक सुनने में आया है कि जब तक यहूदियों को पूरी तरह से समाप्त नहीं कर दिया जाएगा तब तक कोई भी मुसलमान शांति से नहीं बैठेगा। किसी भी प्रकार के इस्लामिक इतिहास में यहूदियों द्वारा मुसलमान पर अत्याचार करने की घटना का जिक्र नहीं आता है इसके बाद भी मुस्लिम स्कॉलर यहूदियों को समाप्त करना चाहते हैं। वास्तव में यह जंग सत्ता पाने के लिए या अपनी जमीन को, अपने देश को बढ़ाने के लिए नहीं की जा रही। मुसलमान की ओर से यह लड़ाई जिहाद की लड़ाई है जो उनके दिमाग में मुस्लिम स्कोलरों ने डाला है और यहूदियों के लिए यह लड़ाई अपने वजूद की लड़ाई है।
कितनी पुरानी है यहूदियों और मुसलमान की जंग?
मुसलमान मात्र 1400 साल पहले इस दुनिया में आए है पर यह लड़ाई आज से 2500 साल पुरानी है। जब इस्लाम को फैलाया जा रहा था तब मक्का में रहने वाले यहूदियों ने इस्लाम को कबूल नहीं किया बल्कि उनसे जलने वाले मदीना में रहने वाले मूर्ति पूजाकों ने इस्लाम को कबूल कर लिया ताकि वे यहूदियों से बदला ले सके। मदीना में रहने वाले मूर्ति पूजक यहूदियों से इसलिए जलते थे क्योंकि यहूदी बहुत मेहनती थी और उनके बड़े-बड़े मकान और बड़े बड़े कारोबार थे। जब कभी भी मक्का और मदीना की लड़ाई होती थी तो मक्का में रहने वाले यहूदी हार जाते थे और कहते थे कि जब हमारा मसीहा आएगा तो हम तुमसे बदला लेंगे और आज तक वह अपने मसीह का इंतजार कर रहे हैं।
क्या है इजरायल का इतिहास?
वास्तविकता में बड़े-बड़े देश मानव अधिकारों का केवल दिखावा करते हैं। अमेरिका या और भी देश इजराइल के साथ केवल इसलिए खड़े हैं क्योंकि उनके देश में महत्वपूर्ण पदों पर इजरायल के लोग बैठे हुए हैं। इजरायल में रहने वाले यहूदी लोगों ने एक बहुत बुरा और लंबा समय बिताया है, उनकी अपनी जमीन पर क्षेत्रीय नवीन मुसलमान बन चुके आक्रांताओं ने कब्जा कर लिया और उन्हें डर-डर के ठोकर खाने के लिए पूरी दुनिया में घूमने को मजबूर कर दिया। चाहे हिटलर हो या अन्य ना नाम लेने योग्य आतंकवादी उन्होंने यहूदियों पर असहनीय अत्याचार किए। इसके बाद यहूदियों ने सोचा कि हम अपना खुद का एक देश बनाएंगे और उन्होंने स्वयं का एक देश बनाया।
सबसे पहले उन्होंने स्वयं को शक्तिशाली बनाया और सेना निर्माण का कार्य किया। यहूदियों ने गरीबों को झेला लेकिन अपने बच्चों को बड़े बड़े देश में पढ़ने के लिए भेजा, उन देशों में यहूदियों के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता था पर इसके बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई को जारी रखा। यहूदियों ने अनेक जगह पर अलग-अलग देश में नौकरियों की और अच्छा पैसा कमाने के बाद अपने देश भेजा। समय के साथ ही ईश्वर की कृपा उन पर हुई और वे शक्ति संपन्न होने लगे। उन्होंने दुनिया भर के यहूदियों का आवाहन किया और सभी खुशी-खुशी इजराइल लौटने लगे। इजराइल ने स्वयं को इस दर्दनाक दुनिया से लड़ना सिखाया और अब वह इस स्थिति में आना चाहता है कि उसे किसी के ऊपर निर्भर न रहना पड़े। यहूदी केवल शांति चाहते थे और आज की यहूदी भी शांति चाहते हैं पर उनके साथ जो दुनिया ने किया जिसमें भारत को छोड़कर वे सबसे नाराज है क्योंकि उसकी बुरी स्थिति में एकमात्र भारत ने उसका साथ कभी नहीं छोड़ा।
क्या होगा इस जंग का भविष्य?
इजराइल कभी भी जंग नहीं चाहता पर उसके साथ जो हुआ है वह आज भी उस पीड़ा को महसूस करता है। इजराइल ने मान लिया है कि इस मतलबी दुनिया में ज्यादा अच्छा बनना भी, बुरा हैं। इस कारण जब भी युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न होती है इजरायल मरने या मारने को तुरंत तैयार हो जाता है। इस जंग की केवल दो ही संभावना है पहली या तो इजराइल पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा या दूसरी की इजरायल शत्रु को पूरी तरह से समाप्त कर देगा।